शिंदे सरकार का बड़ा फैसला
अब घर बैठे हो जाएगा ऑनलाइन शिकायत
महिला उत्पीड़न के मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने महिला उत्पीड़न के मामलों को ऑनलाइन दर्ज करने के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर विचार किया है. इस चर्चा के बाद, सरकार ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाने का निर्णय लिया है.
यह निर्णय उस समय आया जब प्रधानमंत्री मोदी ने जलगांव में “लाड़ली बहन योजना” के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अपनी चिंता व्यक्त की. प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को गंभीर और अक्षम्य करार दिया और कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए एक पूरा अध्याय शामिल है. अगर कोई महिला पुलिस थाने तक नहीं पहुंच सकती, तो वह ई-प्राथमिकी दर्ज कर सकती है, जिसे बाद में पुलिस स्तर पर नहीं बदला जा सकता.
पत्रकारों से बातचीत में अजित पवार ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के लिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के निर्देश दिए हैं, और हमने इसे तुरंत लागू करने का फैसला किया है. ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है, और हमने इन अपराधों को रोकने के लिए एक अलग दृष्टिकोण अपनाने का निर्णय लिया है. कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा की गई.”
उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा कि ऐसे अपराधों के दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने मांग की कि इन मामलों में अपराधियों को मृत्युदंड दिया जाए और उनके मुकदमे फास्ट-ट्रैक अदालतों में चलाए जाएं.
इसके अलावा, अजित पवार ने कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण के उस आरोप को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पुणे की पोर्श कार दुर्घटना में राज्य सरकार के करीबी लोगों को बचाया गया था. इस दुर्घटना में एक किशोर द्वारा दो आईटी पेशेवरों की जान गई थी. पवार ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि अगर किसी के पास कोई सबूत है, तो वह उसे सामने ला सकता है, क्योंकि सरकार किसी को भी बचाने का प्रयास नहीं करेगी.
महायुति (बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी) के घटक दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही बातचीत पर पूछे गए सवाल पर पवार ने कहा कि आगामी राज्य विधानसभा चुनाव के बाद, अगर महायुति सत्ता में वापस आती है, तो इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा
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