“बेसिक बायोइन्फॉर्मेटिक्स और प्राइमर डिजाइनिंग तथा इन सिलिको पीसीआर” पर दो दिवसीय व्यावहारिक कार्यशाला का आयोजन –
टीजीपीसीईटी, नागपुर |✓बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग विभाग, टीजीपीसीईटी, नागपुर द्वारा 2 और 3 सितंबर 2025 को मंच, टीजीपीसीईटी के अंतर्गत “बेसिक बायोइन्फॉर्मेटिक्स और प्राइमर डिजाइनिंग तथा इन सिलिको पीसीआर” पर दो दिवसीय व्यावहारिक कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को डीएनए अनुक्रमों (डीएनए अनुक्रम) के विश्लेषण के लिए मूल बायोइन्फॉर्मेटिक्स टूल्स को समझने और लागू करने, लक्षित जीन के प्रवर्धन के लिए विशिष्ट प्राइमर डिजाइन करने, और इन सिलिको पीसीआर के माध्यम से प्राइमर की विशेषता और दक्षता का सत्यापन करने की जानकारी देना था।
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अपर्णा नायर (साइंटिफिक लीड कोऑर्डिनेटर, क्यूरो बायोसाइंसेज प्रा. लि., नागपुर), प्राचार्य डॉ. पी. एल. नक्तोडे, तथा विभागाध्यक्ष प्रो. अनुराधा खड़े उपस्थित रहे।
डॉ. पी. एल. नाकतोडे ने उद्घाटन भाषण में बायोइन्फॉर्मेटिक्स के आधुनिक जैविक अनुसंधान में महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यह बताया कि आनुवंशिक जानकारी को समझने में कम्प्यूटेशनल टूल्स की भूमिका दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, और प्राइमर डिजाइनिंग व इन सिलिको पीसीआर जैसे कौशल, रोग निदान, आणविक जीवविज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अत्यंत आवश्यक हैं। उनके प्रेरणादायक शब्दों ने प्रतिभागियों को सत्र में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए उत्साहित किया।
दो दिनों की इस कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों ने बायोइन्फॉर्मेटिक्स के मूल टूल्स और तकनीकों को गहराई से समझा, विशेष रूप से प्राइमर डिजाइनिंग और इन सिलिको पीसीआर पर ध्यान केंद्रित किया गया। छात्रों ने एनसीबीआय जैसे जैविक डेटाबेस से जीन अनुक्रम प्राप्त करना सीखा और आनलाइन टूल्स का उपयोग कर आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण करना जाना। प्रशिक्षण का मुख्य भाग प्राइमर३ और एनसीबीआय प्राइमर ब्लास्ट जैसे टूल्स की सहायता से फॉरवर्ड और रिवर्स प्राइमर डिजाइनिंग पर केंद्रित रहा।
इसके अलावा, प्रतिभागियों ने इन सिलिको पीसीआर के माध्यम से प्रवर्धन प्रक्रिया का अनुकरण किया और डिज़ाइन किए गए प्राइमर की उत्पाद लंबाई व विशिष्टता का परीक्षण किया। इन व्यावहारिक सत्रों ने छात्रों को सिद्धांतात्मक ज्ञान को व्यवहारिक रूप से लागू करने में मदद की, जिससे उनकी समझ और आत्मविश्वास में वृद्धि हुई।
इस कार्यशाला में 60 से अधिक विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
संकाय सदस्यों और संसाधन व्यक्तियों ने इस बात पर बल दिया कि इस प्रकार की व्यावहारिक प्रशिक्षण छात्रों की समस्या-समाधान क्षमताओं, टीमवर्क और नवाचार को बढ़ाता है, जो भावी इंजीनियरों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
कार्यक्रम का समापन एक समारोही सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
इस कार्यशाला का समन्वय प्रो. नंदिनी मारोडकर द्वारा किया गया, जिन्हें विभाग के अन्य संकाय सदस्यों और छात्र स्वयंसेवकों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।
बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग विभाग की ओर से हम डॉ. मोहन गायकवाड़-पाटिल (अध्यक्ष, जीपीजीआय), श्री आकाश गायकवाड़-पाटिल (उपाध्यक्ष, जीपीजीआय), डॉ. संदीप गायकवाड़-पाटिल (कोषाध्यक्ष),, डॉ. पी. एल. नाकतोडे (प्राचार्य), डॉ. प्रगति पाटिल (उप-प्राचार्य) और प्रोफेसर अनुराधा खाड़े (विभागाध्यक्ष) को इस आयोजन के सफल संचालन हेतु उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।













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