नागपुर:
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुए भीषण आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस नृशंस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। घटना के बाद सुरक्षा बलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह बन गई है कि हमले के बाद जंगल में छिपे आतंकवादियों को किस प्रकार से खोजा जाए। फिलहाल, एक भी आतंकवादी सुरक्षा एजेंसियों की गिरफ्त में नहीं आया है।
आतंकी हमले को अंजाम देकर हमलावर गहरे जंगलों की ओर भाग निकले। ऐसे दुर्गम इलाकों में आतंकवादियों तक पहुंचना पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए अत्यंत कठिन हो जाता है। इसी पृष्ठभूमि में, थर्मल स्कैनर जैसी आधुनिक तकनीक आतंकवादियों को खोजने में एक बेहद प्रभावशाली उपाय साबित हो सकती है।
🔍 थर्मल स्कैनर क्या है और यह कैसे काम करता है?
थर्मल स्कैनर एक आधुनिक यंत्र है जो किसी भी वस्तु या जीव से निकलने वाली उष्मा (हीट) के आधार पर उसकी स्थिति का पता लगाता है। मानव शरीर से निकलने वाली गर्मी जंगल के ठंडे वातावरण की तुलना में अलग होती है, जिसके कारण अंधेरे या पेड़ों की आड़ में छिपे लोग भी थर्मल इमेजिंग से साफ नजर आते हैं।
🌍 अमेरिका की घटना से सबक
हाल ही में अमेरिका के मिशिगन राज्य में एक बच्चा रात को टीवी देखने के बाद अचानक लापता हो गया। रात 8:43 बजे से परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन जब वह नहीं मिला तो पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने घर के पास घने जंगलों में बच्चे को खोजने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
इसके बाद हेलिकॉप्टर और कमर्शियल थर्मल स्कैनर की मदद ली गई। थर्मल इमेजिंग के माध्यम से जंगल के एक गहरे हिस्से में बच्चे को खोज निकाला गया। उस समय वह केवल डायपर पहने हुए था। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि जंगल में किसी भी व्यक्ति को ढूंढने के लिए थर्मल स्कैनर एक अत्यंत कारगर तकनीक है।
🌲 जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में थर्मल स्कैनर का महत्त्व
जम्मू-कश्मीर का भूगोल अत्यंत दुर्गम, पहाड़ी और घने जंगलों वाला है। ऐसे क्षेत्रों में पारंपरिक तरीकों से तलाशी अभियान चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। परंतु थर्मल स्कैनर के माध्यम से: * रात में भी खोजी अभियान चलाया जा सकता है.
* आतंकवादियों की हर हलचल पर नजर रखी जा सकती है.
* सुरक्षा बलों को बिना जोखिम के आगे बढ़ने में सहायता मिलती है.
* जान-माल के नुकसान की संभावना घट जाती है.
थर्मल स्कैनर के उपयोग से न केवल आतंकवादियों को समय रहते खोजा जा सकता है, बल्कि उन पर प्रभावी कार्रवाई कर भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव भी किया जा सकता है। सरकार और सुरक्षा बलों को चाहिए कि वे इस तकनीक का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
“अगर तकनीक का सही इस्तेमाल हो, तो अंधेरे में भी सुरक्षा की किरण नजर आ सकती है।”
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